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Dharma: Decoding the Epics for a Meaningful Lifeby Amish Tripathi Part 1

सुस्वागतम्... Dharma: Decoding the Epics for a Meaningful Life by Amish Tripathi  Audiobook by Li Books INTRODUCTION Both of us, brother and sister, had a unique privilege in our upbringing. We were immersed in two worlds. The first was Bharat, this blessed land whose ancient roots sink deep and from which we seek inspiration. We were raised in a deeply traditional household steeped in our culture, religion (primarily Hinduism, but also Buddhism, Jainism and Sikhism), scriptures and rituals. Our paternal grandfather, Pandit Babulal Sunderlal Tripathi, was a Sanskrit scholar who taught maths and physics in Kashi, at the Banaras Hindu University. Our maternal grandmother, Smt.Shankar Devi Mishra, was a teacher in Gwalior and also a scholar of scripture and tradition. The long shadows cast by these two remarkable individuals continue to influence our family. They keep us rooted. There was also another influence, of India, a land playing catch up with the world, with modernity and West...

Vidur Neeti Part 3

सर्वाणां सुस्वागतम्.. विदुर नीति Part 3 Audiobook By Li Books anyonyasamupastambhaadanyoyaanyaapaashrayen च। ज्ञातयः सम्प्रवर्धन्ते सरसीवोत्पलान्युत लेकिन मिलजुलकर, एक-दूसरे की सहायता से सगे-संबंधी उसी प्रकार बढ़ते हैं, जैसे सरोवर में कमल। ܀܀܀ अवध्या ब्राह्मणा गावो ज्ञातयः शिशवः त्रियः। येषां चान्नानि भुञ्जीत ये च स्यु शरणागताः।।66।। राजन्! ब्राह्मण, गाय, संबंधी, बच्चे, त्री, भोजन देनेवाला तथा शरण में आया-इन्हें कभी नहीं मारना चाहिए। ये सब शात्रों के अनुसार अवध्य की श्रेणी में आते हैं। ܀܀܀ न मनुष्ये गुणः कश्चिद् राजन् सधनतामृते। अनातुरत्वाद् भद्रं ते मृतकल्पा हि रोगिणः।।67।। महाराज! धन और स्वास्थ्य ही मनुष्य के दो सबसे बड़े गुण हैं। विद्वानों ने रोगी को मुरदे के समान कहा है। मेरी कामना है कि आप सदैव इन दो गुणों से भरे-पूरे रहें। ܀܀܀ अव्याधिजं कटुं शीर्षरोगि पापानुबन्धं परुषं तीक्ष्णमुष्णम्। सतां पेयं यन्न पिबन्त्यसन्तो मन्युं महाराज पिब प्रशाम्य।।68।। हे राजन! क्रोध एक तीक्ष्ण विष है जो कड़वा, सिर-दर्द पैदा करने वाला, पापी, क्रूर और प्रकृति में गरम है। दुष्ट प्रकृति के लोग इसे नहीं पी...