प्रश्नोत्तर रत्न मालिका श्रीमद् आद्य शंकराचार्यजी की रचना है।

प्रश्नोत्तर रत्न मालिका श्रीमद् आद्य शंकराचार्यजी की रचना है। जिसमें १८१ प्रश्नोत्तर सहित ६७ ल्लोक है। उसमें भी प्रथम और अंतिम ललोक की रचना उनके शिष्यों की है । प्रश्नोत्तर के रूपमें यह रचना हमारे जीवन एवं वैदिक धर्म के सनातन मूल्यों को प्रस्तुत करती है, जो देश, काल एवं परिस्थिति से परे है । जीवन के कठिन मार्ग पर चलते हुए ये सभी सिद्धांत हमें सही पथ दिखाते हुए हमारा जीवन उन्नत करते हैं । श्रीमद् आद्य शंकराचार्यजी को कोटि कोटि वंदन! ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः खलु नालंक्रियते दृष्टादृष्टार्थसाधनपटीयान् । अमुया कण्ठस्थितया प्रश्नोत्तररत्नमालिकया ॥ जीवन के दृश्य एवं अदृश्य ध्येय को पाने के लिए आवश्यक ऐसी यह प्रश्नोत्तर रत्न मालिका को पहन के (याद कर के) कौन खुद को अलंकृत नहीं करना चाहेगा ? ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

भगवन् किमुपादेयं? - गुरुवचनम् । हेयमपि किम्? - अकार्यम् । को गुरुः अधिगततत्त्वः शिष्यहितायोद्यतः सततम् । क्या स्वीकार्य है ? - गुरु के वचन (शिक्षा) । क्या त्याज्य है ? जो धर्म के विरुद्ध है । गुरु कौन है ? - जिसने सत्य को पा लिया है और जो सदैव अपने शिष्य के लिए सही सोचता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

त्वरितं किं कर्तव्यं विदुषाम् ? संसारसन्ततिच्छेदः । किं मोक्षतरोः बीजम् ? सम्यग्ज्ञानं क्रियासिद्धम् । समजदार व्यक्ति को कौन सी बात त्वरित करनी चाहिए ? जन्म मृत्यु के चक्र का छेदन । मोक्ष के वृक्ष का बीज क्या है ? आचरण में लाया हुआ सही ज्ञान । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं गहनम्? स्त्रीचरितम् । - कः चतुरः? यो न खण्डितः तेन । किं दुःखम्? - असंतोषः । किं लाघवम्? अधमतो याच्ञा । गहन क्या है ? स्त्री का चरित्र । चतुर कौन है ? - स्त्री का चरित्र जिसे जीत नहीं पाता वह । दुःख क्या है ? असंतोष । लघुता क्या है ? अधम (नीच) व्यक्ति से याचना करना । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

नलिनी दल गत जलवत् तरलं किम्? यौवनं धनं च आयुः। कथय पुनः के शशिनः किरणसमाः? सज्जना एवं । कमल के पत्ते पे गिरि हुई पानी की बूंद के सामान क्षणिक क्या है ? यौवन, धन और आयु । चन्द्र के किरणों के सामान कौन है ? सज्जन व्यक्ति । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं जीवितम्? अनवद्यम् । किं जाइयम्? पाठतोऽपि अनभ्यासः। को जागर्ति? - विवेकी । का निद्रा? - मूढता जन्तोः । जीवित कौन है ? - जो निष्कलंक है । मूर्खता क्या है ? - जो सीखा हुआ है, उसका अभ्यास न करना । जागृत कौन है ? जो विवेकी है । (जो सही-गलत, धर्म- अधर्म, शाश्वत-नश्वर का भेद पहचानता है ।) निद्रा क्या है ? मनुष्य की अज्ञानता । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को नरकः? परवशता । किं सौख्यम्? - सर्वसङ्ग विरतिः या । किं साध्यम्? - भूतहितम् । प्रियं च किं प्राणिनाम्? असवः । नरक क्या है ? दूसरों के वश में रहना । सुख क्या है ? - सभी प्रकार के लगाव से मुक्ति । प्राप्त करने योग्य क्या है ? प्राणीमात्र का हित । प्राणीमात्र को प्रिय क्या है ? खुद की ज़िंदगी । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

पातुं कर्णाञ्जलिभिः किं अमृतं इह युज्यते? सदुपदेशः। किं गुरुताया मूलम्? यत् एतत् अप्रार्थनं नाम | वह क्या है, जो अमृत की तरह कानों से पीया जाए ? सही उपदेश । महानता का मूल क्या है ? - किसीसे कुछ भी याचना न करना । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं मरणम्? - मूर्खत्वम् । किं च अनर्घम्? - यदवसरे दत्तम् । आमरणात् कि शल्यम्? प्रच्छन्नं यत् कृत पापम् । मृत्यु क्या है ? - मूर्खता । अमूल्य क्या है ? जो सही समय पर दिया गया है वह । क्या है जो ज़िंदगीभर कांटे की तरह चुभता है? छिपकर किया हुआ पाप । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कुत्र विधेयो यत्नः? विद्याभ्यासे सदौषधे दाने । अवधीरणा क्व कार्या? खलु परयोषितु परधनेषु । प्रयत्न किसके लिए होना चाहिए ? विद्याप्राप्ति, औषधि की खोज और दान के लिए । किसकी उपेक्षा करनी चाहिए ? - दुर्जनों की, दूसरों की पत्नी और दूसरों के धन की । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को अहर्निशं अनुचिन्त्या? संसार असारता, न तु प्रमदा । का प्रेयसी विधेया? - करुणा दीनेषु सज्जने मैत्री । दिन-रात क्या सोचते रहना चाहिए ? संसार की क्षणिकता, नहीं की स्त्री की सुंदरता । प्यार के लिए विषयवस्तु क्या होनी चाहिए ? दीन व्यक्ति के प्रति करुणा, और सज्जनों से मैत्री । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को अनर्थफलः? मानः । का सुखदा? - साधुजनमैत्री । सर्वव्यसन विनाशे को दक्षः? - सर्वदा त्यागी । किसका परिणाम दुर्गति है ? - मान का । सुखदायक क्या है ? - सज्जनों से मैत्री । सभी प्रकार के दुखों को नाश करने के लिए सक्षम कौन है ? जो सदैव त्यागी है वह । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः पथ्यतरः? धर्मः । कः शुचिः इहः? - यस्य मानसं शुद्धम् । कः पण्डितः? विवेकी । किं विषम् ? - अवधीरणा गुरुषु । सबसे श्रेष्ठ हितकारक क्या है ? - धर्म । सबसे शुद्ध (व्यक्ति) कौन है ? - जिसका मन शुद्ध है वह । समजदार कौन है ? जो विवेकी है । (जो सही-गलत, धर्म- - अधर्म, शाश्वत-नश्वर का भेद पहचानता है ।) विष क्या है ? बड़ों की आज्ञा की अवज्ञा । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्मै नमांसि देवाः कुर्वन्ति? दयाप्रधानाय । कस्मात् उद्वेगः स्यात्? संसार अरण्यतः सुधियः । - देवता किसको नमन करते हैं ? जिसका प्रमुख गुण दया है । उद्वेग किससे निर्माण होता है ? संसाररूपी जंगल उद्देग निर्माण करता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्य वशे प्राणिगणः? सत्यप्रियभाषिणो विनीतस्य । क्व स्थातव्यम्? न्याय्ये पथि दृष्ट अदृष्ट लाभाढ्ये । जीवमात्र को कौन वश कर सकता है ? - जिसकी वाणी सत्य और प्रिय है तथा जो विनम्र है । व्यक्ति को कहाँ स्थिर होना चाहिए ? - इस विश्व में और उसके परे जो लाभदायी है, ऐसे सच्चे पथ पर । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को अन्धः? यो अकार्यरतः । को बधिरः? - यो हितानि न शृणोति । को मूकः? यो काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति । अंधा कौन है ? - जो बुरे कर्मों में लिप्त है । बहरा कौन है ? जो अपने हित की बातें नहीं सुनता । मूक कौन है ? सही समय पर जो सही बात नहीं बोलता । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं संसारे सारम्? - बहुशोऽपि चिन्त्यमानं इदमेव । किं मनुजेषु इष्टतमम्? स्वपरहिताय उद्यतं जन्म । संसार का सार क्या है ? उस तत्व के लिए निरंतर चिंतन करना | मनुष्य के लिए इष्ट क्या है ? - खुदके और दूसरोंके लिए जीवन समर्पित करना । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

विद्युद्विलसितचपलं किम्? - दुर्जनसंगतिः युवतयश्च । कुलशीलनिष्प्रकंपाः के कलिकाले अपि? सज्जना एवं । बिजली के सामान क्षणिक क्या है ? - दुर्जन का संग और युवती । कलियुग में भी कौन अपने अच्छे चरित्र से विचलित नहीं होता ? - सिर्फ सज्जन व्यक्ति । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

चिन्तामणिरिव दुर्लभं इह किम्? कथयामि तत् । चतुर्भद्रम् । किं तद्वदन्ति भूयो विधूततमसो विशेषेण? चिंतामणि के सामान दुर्लभ क्या है ? चार बातें, जो मैं कह रहा हूँ । प्रबुद्ध व्यक्ति द्वारा मार्गदर्शित वह बातें क्या है? ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कण्ठगतैरपि असुभिः कस्य हि आत्मा न शक्यते जेतुम्? मूर्खस्य शङ्कितस्य च विषादिनो वा कृतघ्नस्य । मृत्यु के समय भी किस व्यक्ति को सही रस्ते पे नहीं लाया जा सकता ? मूर्ख, शंकाशील, निरानंद (उदास) और कृतर्नी व्यक्ति को । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः साधुः? - सद्दृत्तः । कं अधमं आचक्षते? - तु असद्वतं । केन जितं जगदेतत्? - सत्य तितिक्षावता पुंसा । सज्जन कौन है ? जिसकी वृत्ति शुद्ध है । अधम (नीच) किसे कहा जाए ? - जिसकी वृत्ति अशुद्ध है । विश्व को कौन जीत सकता है ? - जिसके पास सत्य और सहनशीलता (धैर्य) है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्मात् भयं इह? - मरणात् । अन्धात् इह को विशिष्यते? रागी । - कः शूरः? यः ललना लोचन बाणैः न च व्यधितः । मृत्यु से । अंधे से भी बुरा (व्यक्ति) कौन है ? भय किससे है ? - रागी (इच्छाओं में फंसा हुआ) शूर कौन है ? - सुंदर स्त्री की नज़रों के बाणों से व्यथित न होने वाला । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

विद्वन्मनोहरा का? सत्कविता बोधवनिता च । कं न स्पृशति विपत्तिः? प्रवृद्धवचनानुवर्तिनं दान्तं । क्या विद्वानों को मोहित करता है ? - उन्नत करती हुई कविता और ज्ञान रुपी स्त्री । विपत्ति किसे स्पर्श नहीं कर सकती ? - जो बड़ों की आज्ञा को अनुसरता है और संयमी है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्मै स्पूहयति कमला? - तु अनलसचित्ताय नीतिवृत्ताय । त्यजति च कं सहसा? द्विज गुरु सुर निन्दाकरं च सालस्यम् । देवी लक्ष्मी को कौन पसंद है ? जिसका मन आलसी नहीं है तथा जिसका आचरण और चरित्र शुद्ध है । और वह तत्क्षण किसका त्याग करती है ? जो ब्राह्मण, गुरुजन (बुजुर्गों) एवं देवों की - निंदा करता है, और जो आलसी है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं दानम्? अनाकाक्षम् । किं मित्रम्? - यो निवारयति पापात् । को अलंकारः? शीलम् । किं वाचां मण्डनम्? सत्यम् । दान क्या है ? जो बिना किसी अपेक्षा से किया है । - मित्र कौन है ? - जो पाप से बचाता है । अलंकर क्या है ? - अच्छा चरित्र । वाणी को कौन सजाता है ? सत्य । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कुत्र विधेयो वासः? सज्जननिकटे अथवा काश्याम् । कः परिहार्यो देशः? - पिशुनयुतो लुब्धभूपश्व । व्यक्ति को कहाँ रहना चाहिए ? सज्जनों के समीप या काशी में । किस जगह को छोड़ना चाहिए ? - जहाँ के लोग नीच है एवं राजा लालची और कंजूस है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

केन अशोच्यः पुरुषः? प्रणतकलत्रेण धीरविभवेन । इह भुवने को शोच्यः? सत्यपिविभवे न यो दाता । क्या व्यक्ति को शोकमुक्त करता है ? आज्ञाकारी पत्नी और स्थायी समृद्धि । विश्व में क्या शोक करने जैसा है ? समृद्ध होते हुए भी जो दान नहीं करता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं अहर्निशं अनुचिन्त्यम्? भगवच्चरणम् न संसारः । चक्षुष्मन्तोऽपि अन्धाः के स्युः? ये नास्तिका मनुजाः । दिन रात किसका चिंतन करना चाहिए ? प्रभु के चरणों का, नहीं कि सांसारिक जीवन का । आँखे होने के बावजूद अँधा कौन है ? - जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता है और जो वेदों की निंदा करता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

दानं प्रियवाक् सहितं, ज्ञानं अगर्वं, क्षमान्वितं शौर्यम् । वित्तं त्यागसमेतं दुर्लभमेतत् चतुर्भद्रम् । मीठी वाणी के साथ किया हुआ दान, गर्व रहित ज्ञान, क्षमा सहित शौर्य और संपत्ति की ओर त्याग (उदारता) की दृष्टि - यह चार बातें दुर्लभ है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

मदिरेव मोहजनकः कः? - स्नेहः । के च दस्यवः? विषयाः । का भववल्ली? तृष्णा । - को वैरी? यस्तु अनुद्योगः । मदिरा की तरह कैफ़ी (भ्रामक) क्या है ? स्नेह । - चोर कौन है ? - विषय (इन्द्रिय सुख) । जन्म का कारण क्या है ? तृष्णा (इच्छा) । शत्रु कौन है ? आलस, प्रमाद । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं सम्पादयं मनुजैः? विद्या वित्तं बलं यशः पुण्यम् । कः सर्वगुणविनाशी? - लोभः । शत्रुश्च कः? कामः । व्यक्ति को किसका उपार्जन करना चाहिए ? विद्या, वित्त, बल, यश और पुण्य । सभी सद्गुणों को कौन नाश करता है ? लोभ । शत्रु कौन है ? - काम (वासना) । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

का च सभा परिहार्या? - हीना या वृद्धसचिवेन । इह कुत्र अवहितः स्यात् मनुजः? किल राजसेवायाम् । कौन सी सभा का त्याग करना चाहिए ? जिसमें कोई अनुभवी सचिव नहीं है । व्यक्ति को किस में सतर्क रहना चाहिए ? - राजा की सेवा करने में । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः पङ्गु इह प्रथितः? व्रजति च यो वार्द्धके तीर्थम् । किं तीर्थमपि च मुख्यम् ? चित्तमलं यन्निवर्तयति । अपंग कौन है ? जो बूढा होने के बाद तीर्थयात्रा करता है । - महत्वपूर्ण तीर्थ कौन सा है ? - जो मन की अशुद्धि (बुरी वासनाओं) को दूर करे । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं स्मर्तव्यं पुरुषैः? हरिनाम सदा, न यावनी भाषा । को हि न वाच्यः सुधिया? परदोषश्च अनृतं तद्वत् । | क्या सदैव याद रखना चाहिए ? - हरि का नाम, नहीं कि हीन व्यक्तियों की भाषा । सज्जनों के लिए अनिर्वचनीय क्या है ? - दूसरों के दोष एवं असत्य । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः कुलकमलदिनेशः? सति गुणविभवेऽपि यो नम्रः । कस्य वशे जगदेतत्? प्रियहित वचनस्य धर्मनिरतस्य । - कमल रूपी कुल (कुटुंब) को खिलनेवाला सूर्य कौन है ? सर्वगुण संपन्न होने के बावजूद जो विनम्र है । विश्व किसके वशरमें है ? - जिसकी वाणी मधुर, हितकारक है और जो धर्मपरायण है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं शोच्यम्? - कार्पण्यम् । सति विभवे किं प्रशस्तम्? - औदार्यम् । कः पूज्यः विद्वद्भिः? स्वभावतः सर्वदा विनीतो यः । शोक करने लायक क्या है ? कार्पण्य (जिसने संपत्ति का ना ही उपभोग किया, ना ही दान) । समृद्ध होने पर कौन पूज्य है ? जिसके पास औदार्य (उदारता) है । | ज्ञानियों द्वारा कौन पूज्य है ? जो स्वाभाव से सदैव विनम्र है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

का दुर्लभा नराणाम्? हरिभक्तिः । पातकं च किम्? - हिंसा । को हि भगवत्प्रियः स्यात्? योऽन्यं न उद्वेजयेत् अनुद्विग्नः । क्या पाना मनुष्य के लिए दुर्लभ है ? - हरि भक्ति । पातक (पाप) क्या है ? हिंसा (किसी भी सजीवको शारीरिक या मानसिक पीड़ा देना) । कौन भगवान को प्रिय है ? जो दूसरों को उद्विग्न नहीं करता एवं खुद भी उद्विग्न नहीं होता । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

का कल्पलता लोके? सच्छिष्याय अर्पिता विद्या । - को अक्षयवटवृक्षः स्यात्? विधिवत् सत्पात्रदत्त दानं यत् । इच्छापूर्ती करनेवाली लता कौन सी है ? - सुपात्र शिष्य को दी हुई विद्या । क्षय न होनेवाला वृक्ष कौन सा है ? सुपात्र व्यक्ति को नियमानुसार दिया हुआ दान | ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं शस्त्रं सर्वेषाम् ? युक्तिः । माता च का? धेनुः । किं नु बलम्? - यद्धैर्यम् । को मृत्युः? यत् अवदानरहितत्वम् । सभी के लिए शस्त्र क्या है ? - युक्ति । माता कौन है ? गाय । बल क्या है ? साहस । मृत्यु क्या है ? - असावधानी (लापरवाही) । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

सर्वसुखानां बीजं किम् ? - पुण्यम् | दुःखमपि कुतः? पापात् । कस्य ऐश्वर्यं? - यः किल शंकरं आराधयेत् भक्त्या । सभी सुखों का बीज क्या है ? - पुण्य । और दुखों का ? पाप । अधिपत्य किसका हो सकता है ? - जो भक्तहृदय से भगवान शंकर की आराधना करता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को वर्धते? - विनीतः । को वा हीयते? - यो दृप्तः । को न प्रत्येतव्यः? - ब्रूते यश्च अनृतं शश्वत् । वृद्धि किसकी होती है ? - जो विनम्र है । अधःपतित कौन होता है ? - दंभी व्यक्ति । कौन विश्वासपात्र नहीं है ? जो सदैव असत्य कहता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कुत्र अनृतेऽपि अपापम्? यच्चोक्तं धर्मरक्षार्थम् । को धर्मः? - अभिमतो यः शिष्टानां निजकुलीनानाम् । कब असत्य भी पातक नहीं रहता ? जब धर्म रक्षणार्थ कहा गया हो । - धर्म क्या है ? कुल के महान एवं पवित्र पूर्वजों द्वारा स्वीकृत शिष्टाचार और नैतिक मूल्य । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं लघुतायाः मूलम्? - प्राकृतपुरुषेषु याच्ञा । रामादपि कः शूरः? स्मरशरनिहतो न यः चलति । मानहानि (उपहास) का कारण क्या है ? नीच व्यक्ति से मांगना । राम से भी कौन है ? - कामदेव के बहादुर बाणों से जिसका मन चालित नहीं होता है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

गृहमेधिनश्च मित्रं किम्? - भार्या । को गृही च? यो यजते । को यज्ञः? - यः श्रुत्या विहितः श्रेयस्करो नृणाम् । गृहस्थ का मित्र कौन है ? - पत्नी । गृहस्थ कौन है ? जो यज्ञ करता है । यज्ञ क्या है ? जो वेदों में कहा गया है और जो मानवता के लिए हितकारक है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

प्राणादपि को रम्यः? - कुलधर्मः साधुसंगश्च । का संरक्ष्या? - कीर्तिः पतिव्रता नैज बुद्धिश्व | प्राण से भी प्यारा क्या है ? परंपरागत धर्म का पालन एवं सज्जनों की संगति । किसका संरक्षण करना चाहिए ? - कीर्ति, पतिव्रता स्त्री और अपनी विवेकपूर्ण बुद्धि का । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को धन्यः? - संन्यासी । को मान्यः? पण्डितः साधुः । कः सेव्यः? - यो दाता । को दाता? यो अर्थतृप्तिम् आतनुते । धन्य (जीवन के उच्चतम ध्येय को प्राप्त करनेवाला) कौन है ? - संन्यासी (संसार में जकड़ी हुई बेड़ी को जिसने तोड़ दिया है) । सम्माननीय (आदरपात्र) कौन है ? जो ज्ञानी एवं सरल है । - पूजनीय कौन है ? - जो दाता है । दाता कौन है ? ज़रूरतमंद को संतुष्ट करनेवाला । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

संभावितस्य मरणात् अधिकं किम् ? - दुर्यशो भवति। लोके सुखी भवेत् कः? - धनवान् । धनमपि च किम्? - यतश्चेष्टम् । प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए मृत्यु से भी बुरा क्या है? अपयश (बदनामी) । विश्व में सुखी कौन है ? - जो धनवान है । धन क्या है ? जिससे इच्छापूर्ती होती है । | ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कुत्र विषम्? किमिह आशौचं भवेत्? - ऋणं नृणाम् । दुष्टजने । किं अभयं इह? - वैराग्यम् । | भयमपि किम्? - वित्तमेव सर्वेषाम् । विष कहाँ है ? - दुर्जनों के पास । कलंक (अपावित्र्य) क्या है ? किसीका ऋणी रहना । - अभय किससे प्राप्त होता है ? वैराग्य (दुन्यवी चीजों के अलगाव ) से । भय क्या है ? संपत्ति । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्य क्रिया हि सफला? - यः पुनः आचारवान् शिष्टः | कः शिष्टः? - यो वेदप्रमाणवान् । को हतः? - क्रियाभ्रष्टः । किसका कर्म फलप्रद है ? जिसका आचरण शुद्ध है और जो शिष्ट है । शिष्ट कौन है ? - जो वेद को प्रमाण मानता है । कौन मृत्यु को प्राप्त होता है ? स्वधर्म को भूला हुआ । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्मात् सिद्धिः? तपसः । बुद्धिः क्व नु? - भूसुरे । कुतो बुद्धिः? - वृद्धोपसेवया । के वृद्धाः? - ये धर्मतत्त्वज्ञाः । सिद्धि किससे मिलती है ? - तप से । बुद्धि कहाँ है ? - ब्राह्मण में । बुद्धि कैसे मिलती है ? - वृद्धों की सेवा से । वृद्ध कौन है ? - जो धर्म और सत्य जानते हैं ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

साधुबलं किम्? - दैवम् । कः साधुः? - सर्वदा तुष्टः । दैवं किम्? - यत् सुकृतम् । कः सुकृती? ल्लाघ्यते च य सद्भिः । | सज्जनों का बल क्या है ? प्रारब्ध । सज्जन कौन है ? - जो सदैव संतुष्ट है । प्रारब्ध क्या है ? सत्कर्म । | सुकृती (सत्कर्म करनेवाला) कौन है ? - गुणीजन जिसकी प्रशंसा करते हैं वह । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं दुष्करं नराणाम्? यन्मनसो निग्रहः सततम् । को ब्रह्मचर्यवान् स्यात्? यश्व अस्खलित ऊर्ध्वरेतस्कः । मनुष्यों के लिए कठिन क्या है ? मन का निरंतर नियंत्रण । ब्रह्मचारी कौन है ? - जिसने अपनी शक्ति का उदात्तीकरण किया है, नहीं कि व्यय । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

का च परदेवता उक्ता? - चिच्छतिः | को जगत्भर्ता? - सूर्यः । सर्वेषां को जीवनहेतुः? - स पर्जन्यः । सर्वश्रेष्ठ देवी कौन है ? चेतनाशक्ति (माँ अम्बा) । जगत का संरक्षक कौन है ? - सूर्य । सभी के जीवन का स्रोत क्या है ? - बारिश । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कः शूरः? - यो भीतत्राता । त्राता च कः? स गुरुः । को हि जगद्गुरुरुक्तः? शंभुः । ज्ञानं कुतः? - शिवादेव । शूर कौन है ? - जो भयभीत का रक्षक है । रक्षक कौन है ? गुरु । जगद्गुरु कौन है ? - भगवान शिव । ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है ? भगवान शिव से । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं भाग्यं देहवताम्? आरोग्यम् । कः फली? कृषिकृत् । - कस्य न पापम्? जपतः । | कः पूर्णः? - यः प्रजावान् स्यात् । देहधारी के लिए आशिष (भाग्य) क्या है ? - आरोग्य । फल का आनंद कौन लेता है ? - जो बोता है (प्रयत्नशील है) । निष्पाप कौन है ? जो जप करता है (निरंतर मननशील) । पूर्ण कौन है ? - जिनकी संतान है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कस्य न शोकः? - यः स्यात् अक्रोधः । किं सुखम्? - तुष्टिः । को राजा? रञ्जनकृत्? कश्च श्वा? नीचसेवको य: स्यात् । कौन शोकरहित है ? कभी क्रोधित न होनेवाला । सुख क्या है ? - संतोष । राजा कौन है ? - दूसरों को खुश करनेवाला जो विषयों को खुश करता है, न कि विषय उन्हें) । कुत्ता कौन है ? नीच व्यक्ति की सेवा करनेवाला । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को मायी? परमेशः । कः इन्द्रजालायते? - प्रपञ्चोऽयं । कः स्वप्ननिभः? जाग्रत् व्यवहारः । सत्यमपि च किम्? ब्रह्म । माया का रचयिता कौन है ? सर्वोत्तम ईश्वर । इन्द्रजाल (सर्वश्रेष्ठ दैवी जादू) क्या है ? - यह सम्पूर्ण जगत । स्वप्नवत् क्या है ? जागृत अवस्था में जो कुछ भी हो रहा है । सत्य क्या है ? ब्रह्म । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं मिथ्या? यद्विद्यानाश्यं । तुच्छं तु? - शशविषाणादि । का च अनिर्वचनीया? माया । किं कल्पितम्? - द्वैतम् । मिथ्या (भ्रम) क्या है ? सही ज्ञान के प्रकाश से जो नाश होता है । तुच्छ क्या है ? - खरगोश के सींग जैसी चीजें. जिनका अस्तित्व ही नहीं है । अवर्णनीय क्या है ? माया । कल्पनीय क्या है ? द्वैतवाद (जीव और शिव का अलगाव) । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

मुक्तिं लभेत कस्मात्? - मुकुन्दभक्तेः । मुकुन्दः कः? यस्तारयेत् अविद्याम् । का च अविद्या? यत् आत्मनो अस्फूर्तिः । मुक्ति किससे प्राप्त होती है ? मुकुंद (विष्णु) भक्ति से । मुकुंद कौन है ? - अविद्या से तारनेवाला । अविद्या क्या है ? खुदको न जानना । - ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

को ब्राह्मणैः उपास्यः? गायत्रि अर्क अग्नि गोचरः शंभुः । गायत्र्यां आदित्ये च अग्नौ शम्भौ च किं नु? - तत् तत्वम् । ब्राह्मण को किसकी पूजा करनी चाहिए ? गायत्री, ऊरी और अग्निमें जो व्याप्त है ऐसे शिवजी की । गायत्री, सूर्य, अग्नि और शिव में क्या है ? परम सत्य । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका 

फलमपि भगवद्धक्तेः किम्? तल्लोक स्वरूप साक्षात्वम् । मोक्षश्च कः? हि अविद्या अस्तमयः । | कः सर्ववेदभूः? अथ च ॐ | भगवद् भक्ति का फल क्या है ? भगवद् तत्व की अनुभूति एवं स्व-स्वरूप की पहचान । मोक्ष (मुक्ति) क्या है ? - अज्ञान से मुक्ति (अविद्या का अंत) । वेदों का उद्भवस्थान क्या है ? ॐ । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

कश्च कुलक्षयहेतुः? संतापः सज्जनेषु यो अकारि। केषां अमोघवचनम्? ये च पुनः सत्य मौन शम शीलाः । वंश के पतन का कारण क्या है ? सज्जनों को संताप देनेवाले कर्म । किसके शब्द विफल नहीं होते ? - जिसमें सत्य है, मौन (वाणी पर नियंत्रण) है और मन नियंत्रित है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं पारमार्थिकं स्यात् ? - अद्वैतम् । च अज्ञता कुतः? - अनादिः । वपुषश्च पोषकं किम्? च अन्नदायि किम्? प्रारब्धम् । च आयुः । सर्वोत्तम सत्य क्या है ? अद्वैत । यह अज्ञानता कब से है ? अनादि से । शरीर का पोषक क्या है ? - प्रारब्ध (पूर्व कर्म जिनके फल मिलने शुरू हुए है) । अन्न कौन देता है ? - आयुष्य । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

पात्रं किं अन्नदाने? - क्षुधितम् । को अच्यो हि? भगवद् अवतारः । - कश्च भगवान्? - महेशः शंकरनारायणात्मैकः । कौन अन्नदान के पात्र है ? जो भूखा है । कौन पूजनीय है ? - भगवन के अवतार । भगवान कौन है ? - वह परमेश्वर जिसमें शिव और नारायण व्याप्त (एक) है । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

प्रत्यक्षदेवता का? माता । पूज्यो गुरुश्व कः? - तातः । कः सर्वदेवतात्मा? विद्या कर्मान्वितो विप्रः । प्रत्यक्ष देवता कौन है ? माता । पूजनीय एवं गुरु कौन है ? - पिता । सभी देवता कहाँ स्थित है ? ज्ञानी और कर्मनिष्ठ ब्राह्मण में । - ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

इत्येषा कण्ठस्था प्रश्नोत्तररत्नमालिका येषां । ते मुक्ताभरणा इव विमलाश्चाभान्ति सत्समाजेषु ॥ प्रश्नोत्तर रत्न मालिका स्वरूप इस रत्नों की माला को जो कोई भी अपने गलेमें पहनता है। (इसे मनमें याद कर लेता है), वह महान-सज्जनों की सभा में रोशन होता है (प्रशस्ति पता है) । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥

किं जन्म? - विषयसंगः । किं उत्तरं जन्म? - पुत्रः स्यात् । को अपरिहार्यः ? - मृत्युः । कुत्र पदं विन्यसेच्च? दृक्पूते । जन्म का कारण क्या है ? - विषयों से आसक्ति । आगामी जन्म क्या है ? - पुत्र | अनिवार्य क्या है ? - मृत्यु । व्यक्ति को कहाँ पैर रखना चाहिए ? जहाँ अच्छाई मालूम हो । ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥ 

॥ इति श्रीमद् शङ्कराचार्यविरचिता प्रश्नोत्तररत्नमालिका समाप्ता ॥ ॥ प्रश्नोत्तर रत्नमालिका ॥ 

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