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sadhguru from chapter 2

CHAPTER 2 The Process of Death

Shiva ji maharaj

शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 प्रा चीन भारत के इतिहास में जितने भी हिंदू राजा हुए, उन में जो महान् व्यक्तित्व प्रभु रामचंद्र के, भगवान् श्रीकृष्ण के चरित्र से प्रेरित रहा है तथा जिनके पराक्रम के कारण हिंदू राष्ट्र, हिंदू धर्म तथा हिंदू संस्कृति जीवित और अविनाशी रही, ऐसे छत्रपति शिवाजी का जीवन चरित्र अद्भुत व अलौकिक है। जिस कालखंड में स्वराज्य, स्वधर्म तथा स्वतंत्रता जैसे शब्दों का उच्चारण करना भी असंभव था, उस कालखंड में शिवाजी ने अपने पराक्रम और कर्तव्यनिष्ठा से जो राज्य स्थापित किया, उसके परिणामस्वरूप इतिहास में शिवाजी राजा एक महान् शासक के रूप में यशस्वी एवं आदरणीय कहलाए। यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए वचनों के अनुसार संभवतः कलियुग में यह ईश्वर का अवतार ही था। शिवाजी के जीवन के प्रत्येक प्रसंग में प्रगट हुई दूरदर्शिता एवं प्रत्येक प्रसंग में दर्शाई हुई सावधानियाँ और उनमें दिखनेवाला उनका रूप देखकर मन अभिभूत हो जाता है, इतना चर...